Sunday, August 14, 2016

एक गावं और अनेक विकास कार्य : छत्तीसगढ़ के करम्हा गाँव में विकास कार्यों की लिस्ट



छत्तीसगढ़ के करम्हा गाँव में प्रधानमन्त्री आदर्श ग्राम योजना के तहत किये गाँव कार्यों की सुचना. ये इतने काम पूरी ईमानदारी और बिना भ्रस्टाचार के केवल इसी लिए संभव हो पाए क्योंकि इनके पीछे स्वामी राम देव जी से प्रेरित गाँव के ही एक 2 वर्षीय युवक विकास गुप्ता का निस्वार्थ परिश्रम व् सांसद का सहयोग रहा . आप भी इन कार्यों में से जो भी आपके गाँव के लिए उपयुक्त हो ऐसे काम करवा सकते है 


1.       पंचायत का चुनाव  निर्विरोध करवा कर चुनाव का पैसा बचाया
2.       युवाओं को खेल से  जोड़ा – बालीबाल , खोखो , कब्बड्डी , योग
3.       युवाओं की टीम बना कर हर महीने की आखरी तारीख को गाँव की साफ़ सफाई का अभियान चलाया
4.       महिला उत्पीडन को रोकने के लिए वृद्ध लोगों की ‘टोका टाकी “ समिति बनाई
5.       बच्चो द्वारा अनपढों  की कक्षा
6.       गाँव में पक्के रोड
7.       RO के पानी का प्लांट
8.       सोलर स्ट्रीट लाइट
9.       24 घंटे बिजली सप्लाई – पुरे गाँव में नए बिजली के तार और ट्रांसफार्मर लगवा कर
10.   पुरे गाँव में 3 MBPS की  फ्री wifi सुविधा
11.   स्कूल , आंगनबाड़ी , अस्पताल , पंचायत भवन और गाँव के मुख्य द्वार पर CCTV
12.   BPL लोगों के लिए पक्के मकान – हर व्यक्ति को एक लाख रूपये मकान बनाने के लिए
13.   हर घर में पानी का नल
14.   गाँव में मार्किट
15.   घर घर से कूड़ा उठाने वाली गाड़ी और कूड़े से खाद बनाने का प्लांट
16.   पंचायत घर का निर्माण
17.   पंचायत घर में VSAT
18.   कम्युनिटी हॉल का निर्माण
19.   ऑप्टिकल फाइबर पुरे गाँव में
20.   लाइब्रेरी का निर्माण
21.   गाँव के लोगों के लिए 30 कंप्यूटर वाला ट्रेनिंग सेण्टर
22.   हर घर को २ LED बल्ब फ्री
23.   13 नए हैण्ड पंप
24.   नहर को पक्का करवाया
25.   3 सोलर tubewell लगवाए
26.   देशी मुर्गा पालन के लिए 25 किसानो को 75000 दिलवाए
27.   50 बायोगैस प्लांट
28.   6 आंगनबाड़ी में खिलोने , TV और RO लगवाए
29.   गाँव की हर महिला को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा , गाँव में 50 स्वयं सहयता समूह बनाए
30.   Rural livelihood program ???
31.   हर महीने गाँव के नोटिस बोर्ड पर बैंक स्टेटमेंट और कैश बुक लगा कर पारदर्शिता दीखाई
32.   गाँव में विकास की खबरों को समाचार पत्रों में छपवाई
33.   गाँव के सभी ड्राइवरों को प्रधान मंत्री रोजगार योजना के तहत ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया
34.   चर्मकारो को कानपूर से चमड़े की ट्रेनिंग दिलवाई
35.   अच्छे नस्ल के बकरे , सुवर , भैंसा और बैल किसानो को दिलवाकर द्वारा पशुपालन को बढ़ावा
36.   गाँव में क्रिकेट और फूटबाल के मिनी स्टेडियम का निर्माण
37.   सरकारी जमीन पर से कब्ज़ा हटवाया
38.   मनोरंजन भवन ( कैरम , शतरंज ) का निर्माण
39.   तालाब बनवाया
40.   100 % शोचालयों का निर्माण
41.   १६ करोड़ के काम में जीरो % भ्रष्टाचार
42.   यात्री प्रतीक्षालय निर्माण 

    विकास गुप्ता का ईमेल  : vkskmrgupta@gmail.com
 



Sunday, April 24, 2016

चीखली गांव गुजरात: सांसद ने सिर्फ 1 साल में ही पूरे गांव का की बदलकर रख दी किस्मत

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गांव में चमचमाती सड़कें
नवसारी। गुजरात का चीखली गांव एक साल पहले तक पानी और जरूरी सुविधाओं के लिए तरसता था, लेकिन अब वह आदर्श गांव बनने की राह पर बढ़ चला है। महज एक साल के भीतर यहां सभी 450 घरों में पानी के नल के कनेक्शन लग गए हैं। हर घर में शौचालय भी है। सड़कों पर सीसीटीवी कैमरे लग चुके हैं। जिले का पहला रिवरफ्रंट भी तैयार हो चुका है। कायापलट के पीछे यहां के सांसद सीआर पाटिल की बड़ी भूमिका...
नवसारी जिले के इस गांव के कायापलट के पीछे यहां के भाजपा सांसद सीआर पाटिल की बड़ी भूमिका है। पाटिल ने एक साल पहले चीखली गांव को गोद लिया था। इसके बाद यह गांव विकास की राह पर सरपट दौड़ पड़ा। पाटिल के प्रयासों से महज एक साल में इस गांव पर तीन करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके अलावा करीब ढाई करोड़ रुपए ग्राम पंचायत ने खर्च किए। नतीजा यह रहा कि जो गांव पहले खराब सड़क की वजह से आसपास से कटा रहता था। अब वह नजदीकी गांवों के साथ-साथ जिला मुख्यालय से पक्की सड़क से जोड़ा जा चुका है। सड़क के किनारों पर ब्लॉकिंग की गई है ताकि कीचड़ न हो।
गांव की सरपंच ज्योति बेन ने बताया कि गांव के विकास में पर्यावरण का खास ध्यान रखा गया है। सीवेज का गंदा पानी नदी में न जाए, इसके लिए फिल्टर प्लांट लगाया गया है। गांव और सड़क के किनारे पौधारोपण किए गए हैं। शवों को जलाने के लिए इलेक्ट्रिक मशीन लगाई गई है। आंगनवाड़ी में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
ऐसे मिला गांव को नया रूप:
- 20 लाख खर्च से 450 घरों में लगाए गए नल के कनेक्शन।
- 172 शौचालय बनवाए गए 2 लाख रुपए खर्च कर।
- 10 लाख खर्च कर लगवाए गए दर्जनों सीसीटीवी कैमरे।
- 06 लाख खर्च कर किया गया पौधारोपण।
- 20 लाख खर्च किए गए स्वच्छता के लिए।
- 20 लाख खर्च कर बनाया रिवरफ्रंट।

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चीखली गांव का रेफरल हॉस्पिटल

चीखली गांव का रेफरल हॉस्पिटल
गांव में बनी पक्की सड़कें
गांव में बनी पक्की सड़कें
नदी पार करने के लिए बनाई स्पेशल बोट
नदी पार करने के लिए बनाई स्पेशल बोट

सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए सारी सुविधाओं से लैस ‘दिनकर हॉल’।
सांस्कृतिक व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए सारी सुविधाओं से लैस ‘दिनकर हॉल’।

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वसुधारा डेयरी
गांव में पार्क की व्यवस्था
गांव में पार्क की व्यवस्था

हर घर में नल, चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था।
हर घर में नल, चौबीसों घंटे पानी की व्यवस्था।

शिव मंदिर
शिव मंदिर

गुजरात: सांसद ने सिर्फ 1 साल में ही पूरे गांव का की बदलकर रख दी किस्मत

सारागांव छत्तीसगढ़ : अनपढ़ महिला सरपंच ने कर्ज में लिए रुपए और बदल दी पूरे गांव की तस्वीर

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गांव की सरपंच प्रमिला का लड़कियों के लिए बनवाया टॉयलेट।
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 25 किमी दूर सारागांव को गांव की सरपंच प्रमिला साहू की जिद ने बदलकर रख दिया है। प्रमिला जब सरपंच बनी तो लोगों ने ताना दिया कि अनपढ़ है, क्या विकास करेगी। यह सुनने के बाद प्रमिला ने पढ़ाई शुरू की। फिर गांव की तरक्की के लिए सरकारी मदद नहीं मिली तो खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए। अब मॉडल गांव बनाने का सपना...
150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी पढ़ाई से जोड़ा
- बलौदाबाजार रोड पर रायपुर से लगे सारागांव में छह माह पहले 70 फीसदी घरों में टॉयलेट नहीं थे। स्कूल में छात्राओं के लिए कोई सुविधा नहीं थी। यह तस्वीर सिर्फ छह महीने पहले की है।
- प्रमिला के सरपंच बनने पर लोगों ने उसके पढ़े-लिखे न हाेने पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक अनपढ़ क्या गांव का विकास करेगी।
- इस बात को संजीदगी से लेते हुए प्रमिला ने खुद पढ़ाई शुरू की। साथ ही, धीरे-धीरे गांव के 150 बुजुर्गों-महिलाओं को भी जोड़ा।
- सरकारी मदद नहीं मिलने पर प्रमिला ने खुद के नाम पर 24 लाख का कर्ज लिया और गांव के हर घर से स्कूल तक टॉयलेट बनवा दिए।
- अब सबने मिलकर ठाना है, सारागांव को मॉडल के तौर पर डेवलप करना है।
ऐसे चली तरक्की की लहर
- जब प्रमिला साहू सरपंच बनी थी तो सबसे पहले उसने हर घर में टॉयलेट बनवाने की ठानी। पति ने पूरी मदद की और कुछ महिलाओं के साथ निकल पड़ी लोगों को समझाने के लिए।
- कई लोगों ने बार-बार दरवाजे से लौटाया, जहां खाना पकता है, पूजा-पाठ होता है, उस घर में टॉयलेट नहीं बनाएंगे। लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी।
- अाखिर मेहनत रंग लाई है। सारागांव में 741 मकान हैं। इनमें से 419 मकानों में सिर्फ छह महीने के भीतर टॉयलेट बने हैं। जिनके घर में जगह नहीं थी, उन्हें सरकारी जमीन पर टॉयलेट बनाकर दिया।
- शुरुआत अच्छी हुई तो गांव के व्यापारी भी सामने आ गए। उधार में सामान देते रहे। इन पैसों से एक बोर खुदवाया और पाइप लाइनें भी बिछवा दीं।
- लोग खुलकर कहते रहे, छह महीने के भीतर ही गांव में जबर्दस्त सफाई हो गई। किसी को बाहर नहीं जाना पड़ता। ज्यादातर के पास पीने का पानी पहुंच गया।
- प्रमिला ने बताया कि उसने जितना काम किया है, उसमें 44 लाख रुपए लगे हैं। 24 लाख का सामान उसने खुद उधार लिया है। उधार लौटाने के लिए लोग रोज ही टोकते हैं। सरकार की तरफ से अब तक एक रुपए नहीं मिला।
- बुजुर्ग और महिलाएं किताब-कॉपी लेकर नजर आएं, हर घर में टॉयलेट दिखे, सरकारी स्कूल में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट बना हो तो समझो कि ये सारागांव है।

प्रमिला ने खुद पढ़ाई शुरू की अौर गांव के बुजुर्गों को भी इससे जोड़ा।

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प्रमिला ने खुद पढ़ाई शुरू की अौर गांव के बुजुर्गों को भी इससे जोड़ा।
अंगूठा लगाने के बजाय किए जा रहे दस्तखत
- प्रमिला दूसरी कक्षा तक ही पढ़ पाई थी। सरपंच बनी और लोगों ने पढ़ाई का ताना दिया तो खुद पढ़ने लगी, अब आठवीं में है। उन्होंने मजदूर से लेकर हर वर्ग के 150 से ज्यादा लोगों को पढ़ाई से भी जोड़ लिया।
- असर ये है कि मनरेगा में काम करने वाले लोगों में से 90 फीसदी अंगूठा लगाने के बजाय दस्तखत करके मजूरी ले रहे हैं। सभी शाम को पंचायत भवन में इकट्‌ठा होते हैं और पढ़ाई शुरू।

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प्रमिला की कोशिशों का ही नतीजा है कि गांव के तकरीबन हर घर में टॉयलेट है।
महिलाओं के किया पैरों पर खड़ा

सरपंच प्रमिला का फोकस अब गांव की महिलाओं की तरक्की पर है। उन्होंने बताया कि उन्हें रोजगार देने के लिए गांव में जल्दी ही हाेम इंडस्ट्री (कुटीर उद्योग) शुरू करने जा रही हैं।
प्रमिला का कहना है कि गांव महिलाओं ने उनका भरपूर साथ दिया, इससे राह आसान हुई। उमेश्वरी पटेल और मीना चौहान के साथ गांव में संचालित सरस्वती महिला स्व सहायता समूह और गायत्री स्वसहायता समूह इसके उदाहरण हैं।

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सारागांव के सभी लोगों ने गांव को मॉडल के तौर पर डेवलप करने का ठाना है।
मॉडल गांव बनाएंगे

प्रमिला साहू के मुताबिक, लोगों के ताने ने उनका हौसला बढ़ा दिया। इसी का नतीजा है, गांव की सोच बदली और बदलाव नजर आने लगा। अब हम सबने तय कर लिया है कि इस सारागांव को मॉडल गांव में बदल देंगे।

गांव में जिन लोगों के पास जगह नहीं थी, उनके लिए सरकारी जमीन पर टॉयलेट बनवाए गए।
गांव में जिन लोगों के पास जगह नहीं थी, उनके लिए सरकारी जमीन पर टॉयलेट बनवाए गए।

गांव में लोगों को घर में टॉयलेट बनवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
गांव में लोगों को घर में टॉयलेट बनवाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।

सारागांव में बदलाव और तरक्की लाने वाली सरपंच प्रमिला साहू।
सारागांव में बदलाव और तरक्की लाने वाली सरपंच प्रमिला साहू।

Sunday, November 2, 2014

आदर्श ग्राम योजना - योजना व् निर्देश पत्र

प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पुरे देश में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना की शरुवात की है 
हिंदी में पूरी योजना व् निर्देश यहाँ से डाउनलोड करे




योग गुरु स्वामी  राम देव जी ने पुरे देश में आदर्श ग्राम योजना योजना  की शरुवात की है 
हिंदी में पूरी योजना व् निर्देश यहाँ से डाउनलोड करे

Sunday, September 7, 2014

रणकोट - आदर्श गांव-निर्मल गांव - खुद ही निकालो गंगा

उत्तराखंड की गंगोलीहाट तहसील का गांव है "रणकोट"। नब्बे परिवारों के इस गांव में चार साल पहले कोई सरकारी अधिकारी जाना पसंद नहीं करता था। लेकिन आज उत्तराखण्ड ही नहीं देश-विदेश के अधिकारी भी यहां पहुंचकर गांव की बदलती तस्वीर देखकर अचम्भित हैं।
चार साल पहले इस गांव में काम करने का संकल्प लिया था राजेन्द्र सिंह बिष्ट नाम के एक युवक ने। इस "हरिजन ग्राम" के लोग मेहनती हैं, इस सच्चाई को भांपकर राजेन्द्र सिंह ने अपने साथियों के साथ लोगों को इस बात का विश्वास दिलाया कि "थोड़ा श्रमदान- थोड़ा अंशदान" से गांव की किस्मत बदली जा सकती है। तब गांव में एक समिति बनाई गई बहादुर राम और नंदनी देवी के नेतृत्व में। सबसे पहले जलस्रोत की मरम्मत हुई, पानी एकत्र करने के लिए प्राकृतिक गड्ढे बनाये गए। इसके पश्चात एक लाख चालीस हजार रु. एकत्र करके फिल्टर टैंक, पाइप इत्यादि लगाने का कार्य श्रमदान से पूरा हुआ। घर-घर तक जब पानी पहुंचा तो लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ग्रामीणों का ये प्रयास "भगीरथ की मेहनत से गंगा निकालने" से कम नहीं था। गांव के लोगों के काम को सरकार ने सराहा और "सर रतन टाटा ट्रस्ट" ने भी। ट्रस्ट ने इस गांव में घर-घर शौचालय बनाने की योजना बनाई। गांव वालों ने खुद श्रमदान करके तीन महीने के भीतर 90 के 90 घरों में शौचालय बना डाले। राज्य सरकार ने इस गांव की पूरी तस्वीर केन्द्र सरकार के पास भेजी और सन् 2006 में इस "रणकोट" गांव को "निर्मल ग्राम पुरस्कार" मिला। पुरस्कार में मिली दो लाख रु.की राशि को गांव वालों ने राजेन्द्र बिष्ट को देने का निर्णय किया। लेकिन उन्होंने उक्त राशि को गांव वालों की कुछ राशि के साथ मिलाते हुए हर घर में "रसोई गैस" की सुविधा दिलाने में खर्च करवा दिया। अब हर घर में लकड़ी नहीं बल्कि "गैस" से खाना पकता है।
राजेन्द्र बिष्ट कहते हैं, "चार सालों की मेहनत से अब पूरा गांव साफ-सुथरा हो गया। साफ-सफाई से बीमारियां दूर हो गईं। पूरा गांव धुआंरहित हो गया। जंगल बच गया। जंगली जानवरों से महिलाएं-बच्चे निजात पा गये।" राजेन्द्र बिष्ट कहते हैं कि अब यहां के बच्चे ज्यादा संस्कारी व शिक्षित होंगे। जागरूक भी होंगे, इन्हें अब अपने लिए काम करना आ गया है। सरकार करे या न करे, इन्हें हिमालय से गंगा निकालना आ गया है। बहादुर राम, नंदनी देवी, अनुलीदेवी, सुंदर राम अपनी तकदीर खुद लिखना सीख गये हैं।

Source : http://panchjanya.com/arch/2009/8/16/File20.htm